tag:blogger.com,1999:blog-8022865746747121693.post4977476304444395885..comments2023-07-22T16:38:08.075+05:30Comments on अल्फ़ाज़: राष्ट्रप्रेम या ‘राज’ प्रेमFauziya Reyazhttp://www.blogger.com/profile/01124118614272827003noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-8022865746747121693.post-29383268648768439202011-08-17T13:52:48.113+05:302011-08-17T13:52:48.113+05:30कभी ख़ुशी कभी गम में एक द्रश्य में मैं अकेली खड़ी ...कभी ख़ुशी कभी गम में एक द्रश्य में मैं अकेली खड़ी थी पूरे हाल में ... :-)sonalhttps://www.blogger.com/profile/03825288197884855464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8022865746747121693.post-40574010201506866932011-08-17T08:55:03.738+05:302011-08-17T08:55:03.738+05:30राष्ट्रगान के साथ सम्बन्ध भावनात्मक है।राष्ट्रगान के साथ सम्बन्ध भावनात्मक है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8022865746747121693.post-3207080333187612482011-08-17T01:42:22.516+05:302011-08-17T01:42:22.516+05:30आपका आक्रोश और आपके सुझाव दोनों ही विचारणीय हैं......आपका आक्रोश और आपके सुझाव दोनों ही विचारणीय हैं.....दोनों ही राष्ट्रीय पर्व महज़ रस्म हो गए हैं. रस्म ....यानी नौटंकी .....कुछ निहायत बेशर्मों द्वारा खेली जा रही नौटंकी जिसे देख कर दर्द और सिर्फ दर्द की anubhooti ही होती है.बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8022865746747121693.post-81792704891730160292011-08-16T22:08:22.163+05:302011-08-16T22:08:22.163+05:30बेहतर हो अगर हम अपने बच्चों को राष्ट्रगान रटवाने य...बेहतर हो अगर हम अपने बच्चों को राष्ट्रगान रटवाने या सिनेमा घरों में एकता बढ़ाने को मुद्दा बनाने की बजाय एड्स, टीबी, तम्बाकू. यौन शिक्षा, छुआछूत या ईव-टीजिंग जैसे मुद्दों को एहमियत दें.shahrozhttp://hamzabaan.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8022865746747121693.post-54318648039331106582011-08-16T20:22:48.165+05:302011-08-16T20:22:48.165+05:30agar media hype n ho to itna bhi nahi dikhega.. ka...agar media hype n ho to itna bhi nahi dikhega.. kaahe ki deshbhakti..sab dikhawa hai..भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8022865746747121693.post-13456577136076802932011-08-16T19:10:15.166+05:302011-08-16T19:10:15.166+05:30सच तो ये है के हम अहसानफरामोश राष्ट्र की निकम्मी औ...सच तो ये है के हम अहसानफरामोश राष्ट्र की निकम्मी औलादे है ..जिनके लिए देशभक्ति का मतलब पन्दरह अगस्त ओर छब्बीस जनवरी को गाने गाकर या स्कूलों में झंडे फहराने तक है...ये एक नजरिया हो सकता है .पर मुझ जैसे लोगो को मुंबई में फिल्म देखने पर इस परम्परा को देख अच्छा लगता है ..कम से कम कुछ शोहदों की अंतरात्मा शायद हलकी सी जागे....या फर्स्ट क्लास में पढने वाला बच्चा इस जज्बे को याद रखे ...जहाँ तक दोहरे चरित्र की बात है ..तो वो भारतीयों के जींस में है.....डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.com