tag:blogger.com,1999:blog-8022865746747121693.post7887533570257552360..comments2023-07-22T16:38:08.075+05:30Comments on अल्फ़ाज़: मैरिटल रेप - पहली कहानीFauziya Reyazhttp://www.blogger.com/profile/01124118614272827003noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-8022865746747121693.post-66694279559210650982015-05-19T23:10:59.151+05:302015-05-19T23:10:59.151+05:30प्रायः ऐसा ही होता है ....यह विचारणीय है किंतु सुध...प्रायः ऐसा ही होता है ....यह विचारणीय है किंतु सुधार के लिये पुरुष की चेतना जाग्रत होनी चाहिये । कौन करेगा यह ? कैसे होगी चेतना जाग्रत ? मुझे लगता है कि शायद यह उस संस्कार का अभाव है जो पुरुष को स्त्री के लिये उपयुक्त बनाने के लिये आवश्यक है । पुरुष "पाने" के अधिकार से ग्रस्त है और "देने" की उदारता से वंचित । बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8022865746747121693.post-65800680234354224462015-05-19T23:10:31.433+05:302015-05-19T23:10:31.433+05:30प्रायः ऐसा ही होता है ....यह विचारणीय है किंतु सुध...प्रायः ऐसा ही होता है ....यह विचारणीय है किंतु सुधार के लिये पुरुष की चेतना जाग्रत होनी चाहिये । कौन करेगा यह ? कैसे होगी चेतना जाग्रत ? मुझे लगता है कि शायद यह उस संस्कार का अभाव है जो पुरुष को स्त्री के लिये उपयुक्त बनाने के लिये आवश्यक है । पुरुष "पाने" के अधिकार से ग्रस्त है और "देने" की उदारता से वंचित । बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.com