शादी की अगली सुबह
लोगों की नज़रों से
कैसे शर्माई थी तू,
मां मैंने कभी जाना नहीं
मुझे गर्भ में
पा कर क्या घबरायी थी तू,
मैंने कभी समझा नहीं
पिता ने जब गुस्से में
तुझ पर हाथ उठाया
तो कैसे थराई थी तू...
मां मैंने कभी तेरा हाथ
थाम कर सवाल ना किया,
क्या पिता से पहले भी
तुझे किसी ने छुआ...
मां मेरे लिये तू जब भी
कुछ खरीद लाती है तेरी आखें
रौशन होती हैं,
पर क्यूं खुद के लिये तुझ में
सारा जोश है धुआं…
मां तू हौसले से क्यूं नहीं भरती,
कभी बस खुद के लिये
कोई राह क्यूं नहीं चुनती...
मां मैं तेरी छांव में थी
पर दूर रही,
तेरी बेटी तो बनी
पर सहेली ना हुई …