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हमारे फ़िल्मी अदाकार भी कमाल हैं. विदेश में बैठ कर कर बड़े बड़े बयान देंगे लेकिन अपनी ज़मीन पर आते ही हालत पतली हो जाती है. अरे भई इतना ही डरते हो घबराते हो तो कैमरे के आगे तीस मार खान क्यूँ बनते हो. लगता है की ये इन फ़िल्मी सितारों की आदत है किसी भी गर्मागर्म मुद्दे पर अपनी फिल्म के रिलीज़ से ठीक पहले आग में घी डालने का काम करेंगे. सिल्वर स्क्रीन के किरदार को हकीक़त में लाने की कोशिश करेंगे मगर फिर होगा वही ढाक के तीन पात, टुच्चे नेताओ की धमकियों से डर के घर में दुबक जायेंगे. शाहरुख़ साहब हमने आपकी नई सफाई यानी "मुंबई ने मुझे सब कुछ दिया" पर यकीन किया. पर सरजी ये मक्खन किसके लिए ?.
वैसे आपका डर जायज़ भी है जो सरकार हज़ारों टेक्सिवालों को तो धड़ाधड़ पिटने देती है, उत्तर भारतियों की सुरक्षा के लिए उसके पास कोई उपाय नहीं है पर अपने युवराज को सुरक्षा देने के लिए बिछी चली जाती है. उस सरकार से सुरक्षा की आपको क्या किसी को कोई उम्मीद नहीं है.उम्मीद हो भी क्यूँ यहाँ सब महान हैं और अपनी महानता साबित करने के लिए, अपना उल्लू सीधा करने के लिए सबके पास तरीके हैं. कोई फिल्म के प्रोमोशन के लिए आदर्श बनने की कोशिश करता है, कोई गाँव-शहर के दौरे लगा कर आदर्श बनना चाहता है, और कोई युवराज के जूते उठा कर पार्टी में अपनी जगह मज़बूत करना चाहता है.
राहुल गाँधी कहते हैं "मुंबई में जो हो रहा है हम उसे बर्दाश नहीं करेंगे" अरे राहुल बाबा आपको कुछ बर्दाश करना भी नहीं है आप तो आराम से दौरा कर आये, जगह जगह जा कर माइक पर अपनी भड़ास निकाल ली, क्या आपको खरोच भी आई ? नहीं ना...राहुल बाबा को थोड़े ही ना कुछ होगा....हाँ अब आपके जाने के बाद भले ही पोलिटिकल गुंडे उत्तर भारतियों से निपटते रहे. आपकी यात्रा मंगलमय हो गयी, आपने बयानों में खूब जोश भरी बातें कही हों, आपका काम तो खत्म...अब चाहे मुंबई जाए भाड़ में, आज मुम्बईकर भले ही पानी की परेशानी से जूझ रहा हो, बिजली की कटौती ने भले ही होश उड़ा रखे हों. मगर एकलौती परेशानी जो विपक्ष को दिखती है वो है शाहरुख़ का बयान और राहुल बाबा का मुंबई दौरा...असली आदर्शवादी तो ये गुंडे हैं जहाँ पैसा मिला वहां का लबादा ओढ़ कर कभी उत्तर भारतियों को पीटा, कभी नौजवान प्रेमी जोड़ों को और कभी भारत माता की जय के नारे भी लगा दिए.