- अपने प्रिय व्यक्ति को अपनी रूचि की वस्तु ही प्रस्तुत करके प्रसन्नता होती है।
- हृदय और मस्तिष्क के दुःख कलेश और परीक्षाएं । मैं मुक्ति नही चाहता । करुना बहुत बड़ी चीज़ है, शाक्यमुनि! किंतु सम्भव है, मुझे स्वयं तुम पर करुना होती है। प्रश्न ये है पावन राजकुमार की कौन किस पर करुना करेगा ?
- ताल सूख पत्थर भयो हंस कहीं न जाए पिछली प्रीत के कारने कंकर चुन-चुन खाए।
- "न स्त्री स्वतंत्र्म" मनु महाराज ने लिखा है। स्त्री स्वतंत्र नही है बिल्कुल सही है। रामायण के छ्टे काण्ड में तो यहाँ तक लिखा है की संकट काल में, विवाह के अवसर पर और आराधना के समय स्त्री बाहर आ जाए तो कोई आपत्ति की बात नही। और ये भी लखा है की स्त्री के वेद पढने से बड़ा अनिष्ट फैल सकता है।
- कलाकार न बनिए, आजकल कलाकार की तो फौज की फौज हर जगह घूम रही है। कोई बुनियादी काम करिए, इतना कुछ करने को पड़ा है।
- "तो शादी आपकी इकनॉमिक मसलों का हल है" शादी हिंदुस्तान की हर लड़की की निजी और खानदानी प्रॉब्लम का हल माना जाता है।
- जीवन इतना गुंजलक, इतना व्यस्त, इतना उबड़ खाबड़ और इतना तर्कहीन था की इंसान सारे परिचितों और सारे जानने वालो के साथ निबाह न कर सकता था। इतना समय ही नही था।
- यह लड़कियां मरी क्यूँ जाती हैं - असल में - उसने इत्मीनान से टांग पर टांग रख कर सोचना शुरू किया - इनको हजारों बरस से इस काम्प्लेक्स में फंसा दिया गया है- एक, सुना है वो सटी थीं फिर सीता! फिर गोपियों का फ्रौड़ चला - इनको दुनिया में कोई काम नही! बस, किसी भले मानुस को पकड़ कर, दे पूजा, दे उसकी पूजा! अरी नेक्बख्तों, अल्लाह-रसूल से दिल लगाओ, अगर प्रेम ही करना है। हज़रत राबिया से सबक लो ! इसके अलावा और भी बहुत सी पहुँची हुई बीबियाँ गुजरी हैं लेकिन यह सारी सेंट वेंट औरतें भी सोचती होंगी कि अगर ईशो मसीह भी मिल जाएँ तो लेकर उनके मोजे रफू कर दें।
- जिसकी सारी उम्र ज़मींदारी के खिलाफ नारे लगते गुजरी थी, ज़मींदारी खत्म हो जाने के कारण हालत इतनी गिर गयी थी कि दो वक़्त की रोटी मुश्किल से चलती थी.
- 'इतने demoralized क्यूँ हो गए हो ? संघर्ष का साहस खो बैठे. यही तो वक़्त है आज़माइश का. डटे रहो. मजदूरी करो, हल चलाओ, आखिर इन्कलाब का सामना करना इसी को तो कहते हैं. मगर तुम क्या ऐश के सपने देख रहे हो? अगर ऐसा है तो पाकिस्तान चले जाओ. पर मैं तुमसे उम्र भर ना बोलूंगी'.
- जब खुशहाली आएगी तो सारे मुल्क के लिए आएगी. वो ये थोड़े ही देखती है की ये हिन्दू का द्वार है या मुसलमान का. हम सब एक साथ डूबेंगे, एक साथ उभरेंगे.
- सारी दुनिया की तरफ से इस्लाम का ठेका इस वक़्त पाकिस्तान सरकार ने ले रखा है. इस्लाम कभी एक बढती हुई नदी की तरह अनगिनत सहायक नदी - नालों को अपने धारे में समेत कर शानके साथ एक बड़े भारी जल - प्रपात के रूप में बहा था, पर अब वही सिमट - सिमटा कर एक मटियाले नाले में बदला जा रहा है.
- मज़ा यह है की इसलाम का नारा लगाने वालों को धर्म दर्शन से कोई मतलब नहीं. उनको सिर्फ इतना मालूऊम है की मुसलमानों ने आठ सौ साल इसाई स्पेन पर हुकूमत की, एक हज़ार साल हिन्दू भारत पर और चार सौ साल पुर्वी यूरोप पर. इसके अलावा इस्लाम की जो महान मानव प्रेम की परम्पराएं हैं, उनका नाम नहीं लिया जाता.
- फिर उसने एशिया में कामुनिस्म के खतरे पर प्रकाश डाला और कमाल को बताया की मुस्लिम देश धार्मिक और आध्यात्मिक शक्ति के द्वारा जेहाद में अमरीका की बड़ी सहायता कर सकते हैं.
- मैंने तरह तरह के जिनिअस किस्म के लोगों के साथ समय बिताया. उनमें से हर एक अपनी जगह पर खुश होता, कभी रंजीदा. तुम खुश क्यूँ हो? मैं हर किसी से पूछती- इतनी गहरी और बारीक समझ रखते हुए भी ऐसे मगन हो! हद है. मैं बुरा मान कर कहती. मगर आखिर मैंने देखा की बहुत से लोग ऐसे हैं जिन्होंने अपने दुःख को दुनिया के दुःख में समो दिया था. किस कदर आसान बात थी! पहाड़ के नीचे पहुँचतो मालूम हुआ हम खुद और हमारा निजी दुःख कितना तुच्छ है.
- आठ साल बाद तुम्हारी तरह मैं भी अपने वतन वापस लौटी और मैंने यहाँ के हालात देखे. ऐसी बातें देखी जिनसे मेरे सर फक्र से ऊँचा हुआ, ऐसी चीज़ें देखी जिनसे मेरा सर शर्म से झुक गया. मेरे सामने प्रोब्लेम्स का बहुत ऊँचा पहाड़ था. तब जानते हो क्या हुआ- चींटी ने क्या किया? उसने कानो में हाथ लटका कर पहाड़ पर चढ़ना शुरू कर दिया.
- क्या करू पार्टनर मेरा अंत बड़ा दुखद हुआ है.
- मैं ही लाश हूँ और मैं ही कब्र खोदने वाला और मैं ही रोने वाला.
Friday, 21 August 2009
आग का दरिया (कुर्तुल-एन-हैदर) :- Underlined by me
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
jinki panktiyon ko aapne yahaan ukera hai.... unkki baabat kuchh bhi kahanaa....suraj ko diya dikhana hai....
ReplyDeletei don't know how i landed on your blog...but this post is certainly different ..even i mark every book i read .i never thought one can put it on blog like this ...
ReplyDeleteNice blog ...
Keep writing !!
Regards
Divya Prakash Dubey
http://www.youtube.com/watch?v=oIv1N9Wg_Kg
one of my friends- an eminent producer with AIR- had strongly recommended this masterpeice to me a couple of weeks back. I have not been able to find time to read the book so far. The excerpts posted by you is again pushing me to squeeze some time for this novel.. And i can't resist from admiring the understanding of history that is apparent in these excerpts..
ReplyDeletebahot he khubsurat rachna... mubarak.
ReplyDeleteइस अच्छी शुरूआत के लिए शुभकामनायें..तुम्हारे जरिए बहुत कुछ अच्छा पढ़ने को मिलता है...keep it up..
ReplyDelete