
Thursday, 25 March 2010
तू औरत है औरत...प्रतिक्रिया ना दे

Tuesday, 23 March 2010
दिल सा कोई कमीना नहीं

घुटते हैं हम तड़पते हैं हम....वैसे scientificly ये prove हो चुका है की सोचने समझने का काम हमारा brain करता है पर लोगों ने दिमाग और दिल की category बनाई जो अपनी जगह बिलकुल सही है...हम जो कुछ महसूस करते हैं हमारी हंसी हमारा दर्द हमारी उलझने दिल से जुडी होती है और हमारे मज़बूत फैसले, mature decisions दिमाग की देन होते हैं...मतलब जो बेसाख्ता हो वो दिल...और जो चालाक हो वो दिमाग. यानी हमारे अन्दर ही दो शख्स.
दिल ओ दिमाग की जंग में पल पल मरते हैं,
अब तो खुद ही से डरते हैं खुद ही से डरते हैं
ख्वाहिशें अब करते नहीं हम,
जो की थी हसरतें उन्ही से डरते हैं
खुद कलामी कर लिया करते थे हम,
अब तो हाल ये हैं आईने से डरते हैं
ना पूछो मेरी शरारतें मेरी शोखी कहाँ गयी,
सच कहें तो अब हम कहकहों से डरते हैं.
दिल हमेशा ऐसे रास्ते पर चलने को कहता है जो खतरनाक होता है, रिस्की होता है और दिमाग हमेशा सुरक्षित रास्तों की तलाश में रहता है, इसी उधेड़ बुन को दिल और दिमाग की जंग कहा जाता है...मतलब फैसला कोई भी हो बेबस इंसान ही होगा...क्यूंकि दिल सा वाकई कोई कमीना नहीं...
Monday, 8 March 2010
महिला दिवस!!! अच्छा मजाक है

9 साल की बेबस बच्ची का बलात्कार और फिर बेरहमी से मार डालना. कैसे होते हैं वो जानवर जो शकल से इंसान दिखते हैं? एक बच्ची जो कुछ दिन पहले तक स्कूल जाती थी, पार्क में झूले झूलती थी, अपनी गुड़िया के टूट जाने पर रोती थी. उसकी आँखें टॉम एंड जेर्री पसंद करती थीं या अलादीन. उसे ओरेंज आइसक्रीम पसंद थी या बर्फ का गोला. बड़े होकर वो डॉक्टर बनना चाहती थी या फिर सुपरगर्ल. कौन जाने वो क्या चाहती थी उसकी मासूम आँखों में कितने ख्वाब थे. शायद वो चिल्लाई होगी..."अंकल ये क्या कर रहे हो, अंकल मुझे छोड़ दो"
वो रोई भी बहुत होगी, उसकी फ्रोक झटके से उतार कर फ़ेंक दी गयी होगी. उसके गले से निकलने वाली चीखों को हाथ रख कर दबा दिया गया होगा. फिर जब वो अधमरी पड़ी होगी तो उसे अपने घिनोने हाथों से हमेशा के लिए चंदा मामा के पास भेज दिया गया होगा.
जिस जानवर ने ये किया उसका शायद पता भी ना चले और अगर पता चल भी जायेगा तो वो बच जायेगा. इसके बाद भी अगर आज से 20 साल बाद कोई सजा सुनाई जाएगी (अगर सुनाई गयी)तो वो होगी उम्र क़ैद या फांसी . क्या इतना काफी है ??? जिस घटिया, वेह्शी जानवर ने ये किया उस पर कोई आसमानी बिजली नहीं गिरेगी, कोई चमत्कार उसे तबाह नहीं करेगा.
वो नपुंसक भगवान, खुदा या god अगर है तो बस देखता रहेगा. उससे बेहद नफरत है मुझे.
बेहतर है यही सोच लूं की कोई नहीं है...कोई नहीं है...कोई नहीं है
वो रोई भी बहुत होगी, उसकी फ्रोक झटके से उतार कर फ़ेंक दी गयी होगी. उसके गले से निकलने वाली चीखों को हाथ रख कर दबा दिया गया होगा. फिर जब वो अधमरी पड़ी होगी तो उसे अपने घिनोने हाथों से हमेशा के लिए चंदा मामा के पास भेज दिया गया होगा.
जिस जानवर ने ये किया उसका शायद पता भी ना चले और अगर पता चल भी जायेगा तो वो बच जायेगा. इसके बाद भी अगर आज से 20 साल बाद कोई सजा सुनाई जाएगी (अगर सुनाई गयी)तो वो होगी उम्र क़ैद या फांसी . क्या इतना काफी है ??? जिस घटिया, वेह्शी जानवर ने ये किया उस पर कोई आसमानी बिजली नहीं गिरेगी, कोई चमत्कार उसे तबाह नहीं करेगा.
वो नपुंसक भगवान, खुदा या god अगर है तो बस देखता रहेगा. उससे बेहद नफरत है मुझे.
बेहतर है यही सोच लूं की कोई नहीं है...कोई नहीं है...कोई नहीं है
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