9 साल की बच्ची का निवस्त्र शव एक पुलिस कालोनी की छत पर मिला...महिला दिवस पर ये भेंट है समाज और कानून की तरफ से महिलाओ को.
9 साल की बेबस बच्ची का बलात्कार और फिर बेरहमी से मार डालना. कैसे होते हैं वो जानवर जो शकल से इंसान दिखते हैं? एक बच्ची जो कुछ दिन पहले तक स्कूल जाती थी, पार्क में झूले झूलती थी, अपनी गुड़िया के टूट जाने पर रोती थी. उसकी आँखें टॉम एंड जेर्री पसंद करती थीं या अलादीन. उसे ओरेंज आइसक्रीम पसंद थी या बर्फ का गोला. बड़े होकर वो डॉक्टर बनना चाहती थी या फिर सुपरगर्ल. कौन जाने वो क्या चाहती थी उसकी मासूम आँखों में कितने ख्वाब थे. शायद वो चिल्लाई होगी..."अंकल ये क्या कर रहे हो, अंकल मुझे छोड़ दो"
वो रोई भी बहुत होगी, उसकी फ्रोक झटके से उतार कर फ़ेंक दी गयी होगी. उसके गले से निकलने वाली चीखों को हाथ रख कर दबा दिया गया होगा. फिर जब वो अधमरी पड़ी होगी तो उसे अपने घिनोने हाथों से हमेशा के लिए चंदा मामा के पास भेज दिया गया होगा.
जिस जानवर ने ये किया उसका शायद पता भी ना चले और अगर पता चल भी जायेगा तो वो बच जायेगा. इसके बाद भी अगर आज से 20 साल बाद कोई सजा सुनाई जाएगी (अगर सुनाई गयी)तो वो होगी उम्र क़ैद या फांसी . क्या इतना काफी है ??? जिस घटिया, वेह्शी जानवर ने ये किया उस पर कोई आसमानी बिजली नहीं गिरेगी, कोई चमत्कार उसे तबाह नहीं करेगा.
वो नपुंसक भगवान, खुदा या god अगर है तो बस देखता रहेगा. उससे बेहद नफरत है मुझे.
बेहतर है यही सोच लूं की कोई नहीं है...कोई नहीं है...कोई नहीं है
वो रोई भी बहुत होगी, उसकी फ्रोक झटके से उतार कर फ़ेंक दी गयी होगी. उसके गले से निकलने वाली चीखों को हाथ रख कर दबा दिया गया होगा. फिर जब वो अधमरी पड़ी होगी तो उसे अपने घिनोने हाथों से हमेशा के लिए चंदा मामा के पास भेज दिया गया होगा.
जिस जानवर ने ये किया उसका शायद पता भी ना चले और अगर पता चल भी जायेगा तो वो बच जायेगा. इसके बाद भी अगर आज से 20 साल बाद कोई सजा सुनाई जाएगी (अगर सुनाई गयी)तो वो होगी उम्र क़ैद या फांसी . क्या इतना काफी है ??? जिस घटिया, वेह्शी जानवर ने ये किया उस पर कोई आसमानी बिजली नहीं गिरेगी, कोई चमत्कार उसे तबाह नहीं करेगा.
वो नपुंसक भगवान, खुदा या god अगर है तो बस देखता रहेगा. उससे बेहद नफरत है मुझे.
बेहतर है यही सोच लूं की कोई नहीं है...कोई नहीं है...कोई नहीं है
इस्सस... दिन दहाड़े दहला दिया... ये लिखते वक़्त घृणा से मेरे ....
ReplyDeleteतस्वीर बहुत डरावनी है और शीर्षक बदल गया
ReplyDeletefauziyaa....
ReplyDeleterom-rom sihar uthaa....
waaqai mazaaq hee hai...
भारत में ऐसी घटनाएं आम हो चुकी हैं। जब भी इस तरह की खबरें सामने आती हैं तो खून खौलता ही है। लेकिन अगर ऐसे मामलों में इंसाफ देर से हो रहा है तो वह और भी गंभीर मसला है।
ReplyDeleteसमाज में पाशविक प्रवत्ति के लोग पाए जाते हैं, समाज को बनाने में जो संस्थाएं अपना योगदान देती हैं, उन्हें इस पर लगाम कसने के लिए कुछ तो सोचना पड़ेगा।
वैसे मैं अरब में बने हुए कानूनों को अच्छा बताकर उसे लोकतंत्र की कसौटी पर नहीं रखना चाहता लेकिन इस तरह के अपराधों का औसत उन देशों में और जगहों से कम पाया जाता है। अमेरिका जैसे विकसित देश में जहां इस तरह के अपराध कम हैं लेकिन वहां किशोरवय में लड़कियों के गर्भवती होने की समस्या बहुत ही गंभीर है। वहां का समाज इससे कुछ ज्यादा ही चिंतित है। कुल मिलाकर यह सारी बातें आपस में कहीं न कहीं जुड़ती हैं। आप तमाम प्रबुद्ध लोग इस पर मंथन करें।
वो नपुंसक भगवान, खुदा या god अगर है तो बस देखता रहेगा...
ReplyDeleteजहां मानवीय संवेदनाएं और प्रयत्न हार कर थक जाता है वहां लोग राम और अल्ला को याद करते हैं। ऊपरवाले को लोग इस देश में अपनी सुविधा के लिए इस्तेमाल करते हैं ताकि उनके दिल को तसल्ली मिल सके। इसकी सत्ता पर सवाल युगों युगों से उठते रहे हैं और दिन प्रतिदिन बहशियाना हरकतों का होना पूरी तरह से इसकी सत्ता को नकारता है। नुसरत फतेह अली खां की गायी हुई ये ग़ज़ल इस ढोंग को बखूबी उजागर करता है..
कभी यहां तुम्हें ढूंढा, कभी वहां पहुंचा,
तुम्हारी दीद की खातिर, कहां कहां पहुंचा,
ग़रीब मिट गए, पामाल हो गए, लेकिन
किसी तलक ना तेरा आज तक निशां पहुंचा,
हो भी नहीं और हरजां हो...
तुम एक गोरखधंधा हो... तुम गोरखधंधा हो...
हर जर्रे में किस शान से तू जलनानुमा है
हैरान हैं मगर अक्ल कि कैसा है तू क्या है
तू एक गोरखधंधा है... तू एक गोरखधंधा है...
तुझे दैरोहरम में मैने ढूंढा तू नहीं मिलता
मगर तसरीफरमा तुझको अपने दिल में देखा है
तू एक गोरखधंधा है...तू एक गोरखधंधा है...
जो उल्फत में तुम्हारी खो गया है,
उसी खोए हुए को कुछ मिला है,
न बुतखाने ना काबे में मिला है,
मगर टूटे हुए दिल में मिला है,
अदम बन कर कहीं तू छुप गया है
कही तू हस्त बन कर आ गया है
नहीं है तू तो फिर इंकार कैसा,
नफीदी तेरे होने का पता है
मैं जिसको कह रहा हूं अपनी हस्ती
अगर वो तू नहीं तो और क्या है
नहीं आया ख्यालों में अगर तू
तो फिर मैं कैसे समझूं तू खुदा है !
तू एक गोरखधंधा है...तू एक गोरखधंधा है...
हैरान हूं... मैं हैरान हूं...
हैरान हूं इस बात पर तुम कौन हो क्या हो
भला तुम कौन हो क्या हो...
तुम कौन हो क्या हो ?
क्या हो, क्या हो, कौन हो क्या हो
मैं हैरान हूं इस बात पर तुम कौन क्या हो
हाथ आओ तो बुत
हाथ ना आओ तो खुदा हो
अक्ल में जो घिर गया लाइनतहा क्योंकर हुआ
जो समझ में आ गया फिर वो खुदा क्योंकर हुआ
फलसफी को बहस के अंदर खुदा मिलता नहीं
डोर को सुलझा रहा है और सिरा मिलता नहीं
छुपते नहीं हो सामने आते नहीं हो तुम
जलवा दिखा के जलवा दिखाते नहीं हो तुम
दैरोहरम के झगड़े मिटाते नहीं हो तुम
जो अस्ल बात है वो बताते नहीं हो तुम
हैरान हूं मेरे दिल में समाए हो किस तरह
हालांकि दो जहां में समाते नहीं हो तुम
ये माबदोहरम ये कलीसाओदैर क्यूं ?
हरजाई हो जबी तो बताते नहीं हो तुम
तुम एक गोरखधंधा हो... तुम एक गोरखधंधा हो...
ये पूरी ग़ज़ल आप मेरे ब्लॉग पर पढ़ सकती हैं। मेरा ब्लॉग पता है
ReplyDeletewww.syaah.blogspot.com
saurabh kunal
assistant producer
voice of india news channel
waqai me dil preshan utha jab aapka likha mazmoon padha ...aapne sahi farmaaya ki ajkal kuch log insaan me bhediye ho chuke hai jo palak jhapakte apne kaarname ko de jaate hai aur hamari desh ki arshashan bas andhe gunge behre ki trah kuch din ke liye invetigate karke thande baste me daal deti hain aisi vaardaaton ka shikaar pata nahi kitni masoomo ko jhelna pad raha hai aur jo is kaarname ko anjaam dete hai unhe thodi bhi raham nahi aati ki unke bhi ghar me bhi aise fard rehte hai ..khair aisi vardaaton ko rokne ke liye kaanoon ko chahiye koi aisa lesisation banaye dobara koi aisa ghirrit kaam karne ke liye uski rooh kaanp jaaye ...kaash hamare desh ka kanoon jaag jaaye ... aur aise karname na dekhne ya sunne ko mile...
ReplyDeletebest rgds
aleem
बहुत पहले लिखा एक शे'र याद आता है:
ReplyDeleteबचकर जाएँ तो किधर जाएँ
घर-आँगन में ज़िनाकार मिले!!
भगवान् के घर देर है अंधेर नहीं है..
हे प्रभु इन्हें क्षमा करना .यह नहीं जानते कि यह क्या कर रहे हैं क्या बोल रहे हैं.
खुदा ऐसे जानवरों को कभी मुआफ नहीं करेगा.और इस से पहले तो दुनिया उसे मुआफ नहीं कर सकती.
ReplyDeleteअब क्या कहुं...ऐसे मुआमलात में कुछ कहते हुए जबान कटती महसूस हाती है
ReplyDeleteऐसे लोगों को सख्त से सख्त सज़ा देनी चाहिए
ReplyDelete"फौज़िया बेहद क्षोभजनक न्यूज़ है उस वहशी को जल्द से जल्द पकड़ना चाहिये........."
ReplyDeleteamitraghat.blogspot.com
फौजिया,
ReplyDeleteवाकई बड़ी शर्मनाक घटना है...लेकिन ये तो दिल्ली का मामला है इसलिए सुर्खियों में आ भी गया, वरना इस देश में न जाने कितनी कलियों को इसी तरह मसल दिया जाता है, उनका कहीं कोई ज़िक्र तक नहीं होता...क्या हो जाएगा अगर महिलाओं को एक तिहाई रिजर्वेशन मिल जाएगा...क्या महिला सांसदों की गिनती बढ़ने से अपराध खत्म हो जाएंगे, सभी बच्चियों को तालीम मिल जाएगी, कन्या भ्रूण हत्याएं बंद हो जाएंगी, युवतियों को दहेज के लिए प्रताड़ित करना बंद कर दिया जाएगा...दिल्ली में एसी कमरों से बाहर आकर अपने फायदे के लिए कुछ घंटे तक शोर मचाने से क्रांति नहीं आएगी...क्रांति या सही बदलाव तब आएगा जब गांव गांव जाकर बच्चियों को पढ़ाने-लिखाने के लिए मुहिम चलाई जाए...यही होगी निस्वार्थ साधना...
जय हिंद...
नपुंसक भगवान, खुदा या god अगर है तो बस देखता रहेगा. उससे बेहद नफरत है मुझे.
ReplyDeleteबेहतर है यही सोच लूं की कोई नहीं है...कोई नहीं है...कोई नहीं है
Sach kaha Fauzia ji, aisi hi baten hamen ahsas karati hain ki Bhagwan naam ki koi chij nahin hoti..
Ye Aakrosh jaayaz hai aisi yah news jaanane ke bad lahu kool utha ....is kukritya par pratibandh bahut hi jaruri hai lekin andhe kanun aur gandi soch ke aage ye nanhi kaliyan aae din masali jarahi hai...Behad sharmnaak hai ye !
ReplyDeleteMahila Divas par yaha bhi gor pharmaae
Happy Women's Day !!
shocking....will these men ever let women live in peace on this earth?
ReplyDeleteकाश यही रोष हर दिल में मुखर हो सके.
ReplyDeleteजानती हैं फ़ौजिया जी , जब भी इस तरह की घटनाएं पढता देखता और सुनता हूं तो सिर्फ़ एक ही बात मेरे दिमाग में आती है कि खुदा न करे यदि कभी किसी अपने के साथ ऐसा कुछ हो गया तो यकीनन मेरा एक ही निर्णय होगा ..उसकी मौत और इसके लिए किसी कानून और पुलिस का मोहताज भी नहीं बनना चाहूंगा .....सच कहूं तो यही इसका उपाय है ...नहीं जानता कि वो समय कब आएगा , मगर आएगा जरूर ...मन आक्रोश से भर गया है
ReplyDeleteअजय कुमार झा
बस मन में एक खामोश आक्रोश उठता है... क्या करें कैसे करें इस पर सोचना सबको होगा..
ReplyDeletedis is so sad and upsetin .....
ReplyDeletebt dont hate god bczo god will always do justice wid her...
i feel terrible
ReplyDeleteविचारोत्तेजक आलेख, वास्तव में सिर्फ एक तिथि विशेष को महिला दिवस मना लेना ही काफी नहीं है, दुर्भाग्य है कि अर्धांगिनी और देवसदृश मानी जाने वाली महिलाओं की आज भी दुर्दशा है। आपकी पोस्ट आंखे खोल देने वाली है। हर आम व खास को इस विषय पर सोचना नितांत आवश्यक है। मैं इस पोस्ट का लिंक सभी परिचितों को फारवर्ड कर रहा हूँ, अच्छे विचारों को सभी दिशाओं में प्रसारित करना चाहिए।
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना, इसी प्रकार की अगली पोस्ट का भी इंतजार रहेगा।
महिला दिवस पर आपके जज़्बात दिल दहला देने वाले हैं.. एक नंगी सचाई. आपके खयलात से मैं सौ फी सदी इत्त्फाक रखता हूँ.
ReplyDelete“मैं मुसलमान हूँ” पढने के बाद दिमाग में एक खालीपन बहुत देर तक तारी रहा.. मैं हिंदू हूँ...लेकिन मेरे वालिद मरहूम के दो करीबी दोस्त अंसार अहमद और फखरे आलम , हमेशा यही कहा करते थे कि मेरे हिंदू दोस्त के बगैर हमारी ईद मुमकिन नहीं... जब मैं दुबई में था तो हमारे पाकिस्तानी पडोसी हमें कुरान शरीफ के साये में घर से निकलने को कहते थे जब कभी हम अपने वतन वापस आते थे.. आज भी उंके फोन मेरी बेगम के पास आते हैं तो चौथाई वक़्त आंसु पोंछने में निकल जाता है...हमने जितने प्यार से ईद मनाई है उतनी ही खुशी से उन लोगों ने हमारे साथ दिवाली मनाई...
इसलिए फौज़िया बहन इन बातों से तल्खी लाना ठीक नहीं...हम जैसे भाइयों की तरफ देखिये …
aisi sharmnaak ghatanaye har jagah aam ho gayin hai ghar ho ya bahar kya koi kahin bhi surachhit hai. wo vastav me ek vichhipt insaan nahin, shayad vahashi daranda hi kahana thik hoga, kyoki janvaron me bhi thodi insaaniyat baaki hai.
ReplyDeleteये आज की सबसे दर्दनाक स्थिति हैं,जिसका भविष्य और भी खतरनाक होने वाला हैं। इससे निपटने के लिए हमें आगे आना ही होगा।
ReplyDeleteआप नें एक दर्द लिखा है जो आपकी परेशानी को दिखा रहा है।
फ़ौज़िया
ReplyDeleteकुछ प्रचलित गालियां हैं मा.....द, ब....द, इस तरह के विशेषण ऐसे ही मर्दों के लिये बने हैं. मुझे पुरा विश्वास है कि ऐसे मर्दों से इनकी मां-बहन भी सुरक्षित नहीं होगीं. अफ़सोस ! वो कैसे जीती होंगी ऐसे वहसी के साथ. यार बच्चे-बच्चियों के भोलेपन उनकी शरारतें उनका ओस सा पाक-साफ़ होना, जिसे देखकर कभी-कभी लगता है कि कुछ न कुछ तो है हमसे उपर जो इतने प्यारे-प्यारे चीज़ों को गढ़ रहा है. और तुरंत ही ये ख्याल जाता रहता है साले ऐसे मर्दों की वजह से.
ऐसी घटना में सिर्फ़ एक बच्ची का रेप नहीं होता है और सिर्फ़ एक बच्ची नहीं मरती है,सम्पूर्ण मानवता/इंसानियत का रेप होता है उस समय. और हमारी यह नपुंसक व्यवस्था दोगली बन कभी बचाती है कभी निहारती है.
शुक्रिया आपका फ़ौज़िया......."
ReplyDeleteamitraghat.blogspot.com
fauziya......
ReplyDeleteaapse jab phon pe baat hui thi tab aapane is ghaTana ke baare me bataya tha.
aaj is ko padha. aapka jayaj gussa saf jhalak raha hai or muhe lagata hai ki ye gussa apaka akele ka nahi hai.
shashi ne jo kuchh kaha ussse mai asahamat hun lekin isake baad bhi uanake kahe ko hi mai apana shabd maan raha hun.
अगर दलित कोई है तो औरतें या गरीब....कोई और धर्म नहीं है देश में....पर उनपर कौन ध्यान देगा..कोई नहीं....महिलाओं को आरक्षण मिला भी नहीं है मगर उन्हें नेताओं ने हिंदु-मुसिलम में बांटना शुरु कर दिया है..क्या पार्लियामेंट में किसी को इस बच्ची की याद आई..नहीं न, अगर वोट बैंक होती तो शायद संसद रुक जाती.....
ReplyDeleteभगवान इन सब बातों पर ध्यान नहीं देता. उसके लिए जैसे कीड़े-मकोड़े वैसे हम. जो करना है हमीं को करना है..सभ्य समाज का निर्माण या फिर जानवरों से भी बदतर जिंदगी. आखिर भगवान ने एक उपकार किया है न कि हमें सोंचने समझने की शक्ति दी..अब इसका हम कैसा उपयोग करते हैं यह हमीं पर निर्भर करता है.
ReplyDeleteआपकी पोस्ट पढ़ कर खून खौलता है मगर अभी घूमने निकलें और रस्ते में राक्षसों से सामना हो जाय, कोई महिला मदद के लिए चीखे तो हम पहले अपनी जान बचाने के लिए भागेंगे..पुलिस को फोन कर सूचित करने की हिम्मत भी हमारी नपुंसकता नहीं जुटा पाती ..फिर किस मुँह से भगवान को दोष दें..!
@ Juti - Please don blame a certain caste... trust is what we all need... 100 me se agar 80 bhee bure hain to 20 ko nazar-andaaz karke us pooree community ko doshi qaraar denaa kahaan tak sahee hai... yes no doubt that this is the extreme of vahasheepan.. but they are neither men nor human... they are bloody sick... I would rather appreciate picking them one by one & killing them to the worst!!
ReplyDelete@ Jayanti - where the hell god is?? it's just a crap joke people live with... lakhs of people die of flood & earh-quake & tsunami & riots & what not.. innocent people... why?? killing, raping, snatching.. go on like a natural trend.. where the hell god is?? if he exists... then he is a bloody duffer who can just present shits to the people!! m sorry!! if u r hurt!!
ReplyDelete@ Vikas & Shashi - vikaas, aap shashi ki kis baat se asahmat hain, mujhe naheen pataa... lekin mai unse 100% sahmat hoon... aise haraam-khoron se unki maan-bahane bhee bachengee... sandeh hai!! kaee ghatnaayen to khabar bantee hee nahee... maan aur maryaadaa kee aanchal me apnaa dam tod detee hai...
ReplyDeletemaaf kijiyegaa fauziyaa jee lekin in bhediyon ke liye main aur bhee ghatiyaa gaali denaa chaahtaa thaa!!
@ bechain aatmaa- jo kisee kee madad ko aage nahee badh saktaa wo to khud hee bahut badaa napunsak hai.. wo ek aur napunsak kaa naam bhalaa kyun jodegaa...
ReplyDeleteRahul...i meant lecherous men...wid d word omitted... i had some shocking personal experience....and irealized such type of men exist everywhr.....
ReplyDeleteYou are very much true,no doubt about it & I personally respect the anger of every woman be it you or fauziya or anyone else!!
ReplyDelete& I know the whole women community has a silver ray of hope with a few like you people!!
Best Regards
फ़ौज़िया बी !
ReplyDeleteहर ईमानदार अहसास तल्ख और नागवार होता है। सच का यही चेहरा है। अब सच कहें तो बुरा और इस सच्चाई पर थूकें तो....
वो सुबह कभी तो आएगी...
भगवान् के घर देर है अंधेर नहीं है..
ReplyDeleteहे प्रभु इन्हें क्षमा करना .यह नहीं जानते कि यह क्या कर रहे हैं क्या बोल रहे हैं.
SANJAY BAABU....
ReplyDeleteKIS BHAGVAAN KI BAAT KAR RAHE HAIN AAP... JISME ITNI HIMMAT NAHI, ITNI TAAQAT NAHI KI GALAT TO GALAT AUR SAHI KO SAHI KAHALVAA SAKE...
AISE BHAGVAAN KO TO CHAURAAHE PAR KHADAA KARKE GOLEE SE UDAA DENAA CHAAHIYE.. JISKE SAMRAAJYA ME AAYE DIN GHATIYAA SE GHATIYAA VAARDAATEN HOTEE RAHTEE HAI..
बहुत बढ़िया लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! इस उम्दा पोस्ट के लिए बधाई!
ReplyDeletekahan hain aap? hafte bhar se koi post nahin???
ReplyDeleteफौज़िया मैं बहुत दिनों से आपके ब्लॉग को ढूंढ रहा था.. लोगों ने बहुत तारीफ की थी.. पढ़ना ज़रूर.. रोंगटे खड़े हो जाएंगे.. वाकई लाजवाब लिखती हो.. कलम भी अदब से सलाम करती होगी.. कलम तो अब नहीं है..उसकी जगह तो की-बोर्ड ने ली ले है.. लेकिन किसी लड़की का इतना एग्रीसिव ब्लॉग मैंने अब तक नहीं पढ़ा.. खास बात ये है कि आपने जो सवाल उठाए.. उनका किसी के पास जवाब भी नहीं है... चुप्पी के सिवा...
ReplyDeleteअगर दलित कोई है तो औरतें या गरीब....कोई और धर्म नहीं है देश में....पर उनपर कौन ध्यान देगा..कोई नहीं....महिलाओं को आरक्षण मिला भी नहीं है मगर उन्हें नेताओं ने हिंदु-मुसिलम में बांटना शुरु कर दिया है
ReplyDeletehttp://kanpurashish.blogspot.com/2011/01/blog-post_28.htmlआखिर क्यों आऊँ मैं इस दुनिया में जब मैं अन्दर से ही सुनती हु और देखती हु अपनी माँ को दादी के ताने देते हुए की गर लड़की हुई तो घर से बाहर कर दूंगी और पापा भी लड़की होने के पीछे भी माँ को ही दोष देते है और पंडित से भी तो मेरे न आने के लिए ही उपाय किये जाते है
ReplyDelete