Wednesday, 26 August 2009

Statue of liberty से competition क्यूँ करें


हर 6 - 7 महीने के अन्तराल पर अपने नेताओं को किसी ना किसी बात का चस्का लग जाता है और उसके बाद ना आव देखा जाता है ना ताव बस अपनी जिद पूरी की जाती है. पिछले कुछ महीनो से मायावती की जिद पूरी हो रही है, दे दनादन उत्तर प्रदेश के हर गली कूचे में उनकी विशालकाए मूर्तियाँ खड़ी की जा रही हैं, करोडों रूपए मायावती के पॉलिटिकल स्टंट में खर्च हो रहे हैं... भला अब महाराष्ट्र सरकार पीछे क्यूँ रहे आखिर उसका भी तो जनता के पैसे पर कुछ हक बनता है. महाराष्ट्र सरकार ने महाराष्ट्र मैं शिवाजी महाराज की बेहद ऊँची मूर्ती बनाने की प्लानिंग की है यहाँ तक की इस मूर्ती पर तकरीबन 350 करोड़ रूपए के बजट को हरि झंडी मिल गयी है. यह मूर्ती U.S.A की statue of liberty से भी चार फीट ऊँची होगी.
हर मुल्क मैं मूर्तियों का अपना एक ख़ास स्थान होता है, बड़ी और महान शख्सियतों की मूर्तियाँ सर फ़ख से ऊँचा कर देती है, कोई मूर्ती सिर्फ पत्थर का एक ढांचा नहीं होती बल्कि वो उस काल का प्रतीक होती है जिस वक़्त देश अच्छे या बुरे दौर से गुज़रा था. हमारे मुल्क मैं कई दफा उसी दौर को संझो के रखने के लिए कितनी ही मूर्तियाँ खड़ी की गयी पर एक बार उदघाटन के बाद कोई पीछे मुड कर मूर्तियों की हालत नहीं देखता. किसी भगत सिंह पार्क मैं भगत सिंह की हैट टूटी पaड़ी है तो किसी बुधः पार्क मैं बुध की मूर्ती पक्षियों का बसेरा बनी हुई है, हमे किसी statue ऑफ़ लिबर्टी से कॉम्पिटिशन क्यूँ करना है...क्या हमारे मुल्क मैं जो है उसे ही सही से संजोया जा रहा है? जितनी कलाकृतियाँ, जितनी इतिहासिक धरोहरें हमारे यहाँ मौजूद हैं क्या हम उनका रखरखाव ठीक से कर रहे हैं...अगर नहीं तो हमे क्या हक हैं की करोडों रूपए, मजदूरों की मेहनत और काबिल इंजीनियरों का वक़्त लगा कर ऐसी रचना खड़ी करें जिसकी तरफ फिर कभी मुड़ कर देखेंगे भी नहीं?

14 comments:

  1. भारत देश महान है
    यह मूर्तियों की एक दुकान है |
    नेता और धार्मिक ठेकेदार इसके मालिकान हैं
    मूर्ति जब जिन्दा थी, खतरनाक थी
    अब बेबसी ही इसकी पहचान है |

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  2. sahi baat hai...कोई मूर्ती सिर्फ पत्थर का एक ढांचा नहीं होती बल्कि वो उस काल का प्रतीक होती है ....achhi post...

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  3. फौज़ियाजी, इसीलिए तो कभी हमारे आज़ादी के महापुरुषों ने कहा था- इंसाफ की डगर पर बच्चों दिखाओ चल के, ये देश है तुम्हारा, नेता तुम्ही हो कल के. और क्या खूब चल के दिखाया है हमारे आज के नेताओं ने

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  4. fauzia ji...
    bat ye nahee hai ki ham murtiyan bana rahe hain...ye to sarahniye kadam hai ki ham apne mahapurushon ke yaad me murtiyan banayen..
    parantu aapne jo kaha ki ham kitne jimmewaar hain apne etihasik dharoharon k prati....?
    wakai iske rakh-rakhaaw k liye sarkar aur aam logon ko aage aana hoga.
    achha laga aapko padhna.

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  5. संजय कुमार मिश्र
    फौजिया जी, आपका ब्लाॅग देखकर और पढकर अच्छा लगा। दरअसल मायावती को पता है कि उनका हश्र क्या होने वाला है इसलिए अब वे कोई कोर कसर छोडना नहीं चाहतीं। शायद यही वजह है कि गरीबों की गाढी कमाई वे पत्थरों में गंवां रहीं हैं। आपका आंकलन सटीक है।
    मैं भी ब्लाॅगर हूं लेकिन अखबार की नौकरी का दबाव आप समझ सकतीं हैं इसलिए मैं उतना वक्त दे नहीं पाता। फिर भी कभी कुछ जी में आया तो भावनाएं अपने ब्लाग पर उडेल जरूर देता हूं।

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  6. आपका ब्लाग बहुत अच्छा लगा।सारगर्भित लेख......बहुत बहुत बधाई....

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  7. जितनी कलाकृतियाँ, जितनी इतिहासिक धरोहरें हमारे यहाँ मौजूद हैं क्या हम उनका रखरखाव ठीक से कर रहे हैं...अगर नहीं तो हमे क्या हक हैं की करोडों रूपए, मजदूरों की मेहनत और काबिल इंजीनियरों का वक़्त लगा कर ऐसी रचना खड़ी करें जिसकी तरफ फिर कभी मुड़ कर देखेंगे भी नहीं?

    सशक्त विचार हैं आपके .....!!

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  8. बहुत दम है आपके लेख मे |

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  9. aapki saafgoyee pasand aayee...kaash inn netaon ko bhi iss haqeeqat ka ehsaas ho jaaye...

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  10. Fauziya, bahut dam hai aapke is lekh me.. ab ye karen bhi to kya.. inke paas koi kaam bacha to hai nahee, vikaas me dilchaspi naheen, to thoda rozgaar murtiyaan banwaane me hee laga rahen hain bechaare...
    sochiye agar ek baar murti ban gayee tab to phir uske rakh rakhaav ke liye bhi alag se fund issue karwaayenge... aane waali raajnitik peedhi bhee iska laabh utha sakegi...

    ZINDGI KE SAATH BHEE ZINDGI KE BAAD BHEE....

    poori future planning hai..

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  11. निदा फाज़ली साहब की ३ गजले पेश कर चुका हूँ आगे और भी हैं बस आप पढ़ती जाएँ और हमारा हौसला बढ़ता रहेगा

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  12. moortiyan lakh banwa den....... lekin rakh rakhaav shayad hi ho paaye...... jab tak Mayawatiki Govt. hai......... tab tak to ambedkar park ki safai hogi...... rakh rakhaav bhi hoga ........ lekin jab nahi rahegi tab? Tab shayad Lohia park ki haalat sudhar jayegi......

    aur yeh silsila chalta rahega......

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  13. ab kya kahen ham....
    apane kafi kuchh kah diya hai apane aalekh me or logo ne uski pratikriya me.....
    dekhiye likhte rahiye.....
    chup mat hoiyega.....

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